UP TET News: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग में हलचल मची हुई है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने लाखों शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटका दी है। कोर्ट ने टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को सभी इन-सर्विस शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है, जिससे राज्य के करीब 2.5 लाख शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं।
शिक्षक संघ अब सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की तैयारी में हैं, साथ ही बड़े स्तर पर आंदोलन की योजना बना रहे हैं। रिटायरमेंट से 5 साल से कम समय बाकी वाले शिक्षकों को छूट है, लेकिन प्रमोशन नहीं मिलेगा। माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस भी बाहर हैं। आइए, जानते हैं इस मुद्दे की पूरी कहानी।

UP TET फैसले की वजह वजह
सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट 2009 के तहत TET को क्लास 1 से 8 तक के शिक्षकों के लिए जरूरी बताया है। 29 जुलाई 2011 से लागू NCTE गाइडलाइंस के मुताबिक, नए शिक्षकों के अलावा पुराने इन-सर्विस टीचर्स को भी 1 सितंबर 2027 तक TET क्वालीफाई करना होगा।
ऐसा न करने पर कंपलसरी रिटायरमेंट का खतरा है। कोर्ट का मानना है कि इससे शिक्षा की क्वालिटी सुधरेगी, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि पुराने टीचर्स के लिए ये एग्जाम मुश्किल है, खासकर जो इंटरमीडिएट के आधार पर जॉइन हुए थे।
कितने शिक्षक प्रभावित
यूपी में अनुमानित 2.5 लाख शिक्षक इस फैसले से प्रभावित होंगे, जिनमें प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर्स शामिल हैं। पूरे देश में ये आंकड़ा 51 लाख तक पहुंच सकता है। शिक्षकों में तनाव इतना है कि दो सुसाइड केस भी रिपोर्ट हुए हैं। बागपत से देवरिया तक संघों ने विरोध प्रदर्शन किए और मेमोरैंडम सौंपे।
योगी सरकार का रुख
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन फाइल करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि यूपी के शिक्षक अनुभवी हैं और रेगुलर ट्रेनिंग लेते हैं, इसलिए TET की जरूरत नहीं। सरकार नवंबर से तीन फेज में 2 लाख नई भर्तियां भी करने वाली है।
शिक्षकों की तैयारी कोर्ट और सड़क पर लड़ाई
उत्तर प्रदेश जूनियर हाई स्कूल टीचर्स एसोसिएशन समेत कई यूनियंस अब खुद सुप्रीम कोर्ट जाने की प्लानिंग कर रही हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से दो बार मीटिंग हो चुकी है। अगर रिव्यू पिटीशन फेल हुई, तो बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है। शिक्षक कहते हैं कि एग्जाम पैटर्न अलग-अलग है, सक्सेस रेट कम है, और स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित होगी।
यह फैसला शिक्षा सुधार की दिशा में है, लेकिन टीचर्स की चिंताएं जायज हैं। आने वाले दिनों में कोर्ट का फैसला क्या होगा, ये देखना बाकी है।
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